शुक्राणु बढ़ाने के 13 सबसे कारगर तरीके

शुक्राणु का अपर्याप्त उत्पादन और खराब गुणवत्ता के कारण ही, पुरुषों में नामर्दी और बाप न बनने की समस्या होती है।

शुक्राणुओं की संख्या कम होने के कारण, स्पर्म की एग के साथ फ़र्टिलाइज़ होने की सम्भावना कम हो जाती है, जिसके फलस्वरूप गर्भधारण मुश्किल हो जाता है।

वर्ल्ड हेल्थ आर्गेनाइजेशन (WHO) के अनुसार, स्वस्थ व्यक्ति के एक मिलीलीटर वीर्य में औसतन दो करोड़ शुक्राणु होते हैं।

यदि व्यक्ति के एक मिलीलीटर वीर्य में डेढ़ करोड़ से कम शुक्राणु होते हैं, तो उसे शुक्राणुओं की कमी (low sperm count) की समस्या होती है

इस समस्या को मेडिकल भाषा में oligozoospermia कहा जाता है।

डॉक्टर्स द्वारा किये गए शोधों के अनुसार, गर्भधारण करने के लिए स्वस्थ पुरुष को, स्खलन के दौरान कम से कम दो मिलीलीटर वीर्य (चार करोड़ शुक्राणु) महिला की योनी में निकालना जरूरी होता है।

इससे कम मात्रा होने पर फर्टिलाइजेशन की सम्भावना काफी कम हो जाती है।

शुक्राणु कम होने के कई कारण हो सकते हैं, जिनमें सबसे मुख्य कारण निम्न हैं –

  • असामान्य हॉर्मोन्स संतुलन
  • वीर्य में इन्फेक्शन
  • प्रोस्टेट ग्रंथि में इन्फेक्शन
  • वेरिकोसील बीमारी (एक बीमारी जिसमें अंडकोश की थैली की नसों में सूजन होने लगती है)
  • शुक्राणु नलिकाओं का डैमेज होना
  • एनाबोलिक स्टेरॉयड्स का उपयोग
  • धूम्रपान करना
  • शराब का सेवन
  • ड्रग्स का सेवन
  • शरीर में जहरीले रसायनों का प्रवेश
  • हैवी मेटल और रेडिएशन के संपर्क में आना
  • कुछ दवाओं के सेवन से भी शुक्राणुओं के उत्पादन में कमी आ सकती है।
  • सेक्स के दौरान उपयोग किये जाने वाले लुब्रिकेंट्स भी शुक्राणुओं के लिए घातक हो सकते हैं।

हाल ही में हुए कुछ शोधों से यह बात सामने आई है, कि इलेक्ट्रोमैग्नेटिक फ्रीक्वेंसी (EMFs) के कारण अंडकोष में गर्मी उत्पन्न होती है, जिसका शुक्राणुओं के उत्पादन पर बुरा असर पड़ सकता है।

इसलिए अपने पेंट में मोबाइल फ़ोन न रखें और न ही अपनी गोद में लैपटॉप रखके काम करें।

नीचे दिए गए तरीकों को अपनाकर आप अपने शुक्राणुओं की संख्या को बढ़ा सकते हैं –

  1. अंडकोष को ठंडा रखें
  2. एल-गार्ड पहनकर स्पोर्ट्स खेलें
  3. हर्बल आयल से शरीर की मालिश करें
  4. होम्योपैथिक दवायें
  5. तनाव न लें
  6. धूम्रपान न करें
  7. शराब का सेवन कम करें
  8. केमिकल्स से दूर रहें
  9. नियमित व्यायाम करें
  10. मोटापा को नियंत्रित करें
  11. सप्लीमेंट्स लें
  12. आपको कोई अन्य हेल्थ प्रॉब्लम तो नहीं
  13. खाद्य पदार्थ

अपने अंडकोष को ठंडा रखें

अपने अंडकोष को ठंडा रखें

आपने यह तो नोटिस किया होगा, कि हमारे अंडकोष शरीर के बाहर की तरफ मौजूद होते हैं।

इसका कारण यह है, कि शुक्राणुओं के उत्पादन और संरक्षण के लिए इनके तापमान को, शरीर के तापमान से कम होने की जरूरत होती है।

जब अंडकोष अधिक गर्म होने लगते हैं, तो इनकी शुक्राणु बनाने की क्षमता काफी कम हो जाती है।

इसलिए यदि आप इनके उत्पादन को बढ़ाना चाहते हैं, तो अपने अंडकोषों को ठंडा रखें। इन्हें ठंडा रखने के लिए आप नीचे दिए गए उपाय कर सकते हैं –

  • अत्यधिक टाइट पेंट या जीन्स न पहनें, क्योंकि इनसे अंडकोषों पर दबाब पड़ता है और उनमें गर्मी उत्पन्न होती है
  • टाइट कच्छे (अंडरवियर) की जगह ढीले नाड़े वाले कच्छे पहनें
  • रात को बिना अंडरवियर के सोयें ताकि आपके अंडकोष ठंडे रहें
  • हॉट बाथ न लें
  • अत्यधिक गर्म माहौल से बचें
  • यदि आपको अधिक गर्म माहौल में काम करना पड़ता है, तो शाम को घर आकर ठंडे पानी से नहायें

एल-गार्ड पहनकर स्पोर्ट्स खेलें

एल-गार्ड पहनकर स्पोर्ट्स खेलें

कोई भी स्पोर्ट जैसे क्रिकेट खेलते समय अंडकोष में चोट लगने का खतरा रहता है।

साथ ही, इनमें आपके लिंग पर भी चोट लग सकती है, जिससे उसमें ढीलापन और नसों में कमजोरी आ सकती है या आप नामर्दी के शिकार हो सकते हैं।

इसलिए कोई भी स्पोर्ट खेलते समय एल-गार्ड पहनने से न सिर्फ आपके अंडकोष बचे रहते हैं, बल्कि लिंग को क्षति पहुंचाने से भी बचाया जा सकता है।

हर्बल आयल से शरीर की मालिश करें

हर्बल आयल से शरीर की मालिश करें

शरीर की हर्बल आयल से मालिश करने से रक्त संचार ठीक रहता है और प्रत्येक अंग को पर्याप्त मात्रा में रक्त मिलता है।

अंडकोष को पर्याप्त मात्रा में रक्त मिलने से उनकी उत्पादन क्षमता ठीक रहती है।

साथ ही, तेल से लिंग की मालिश से भी जननांगों को स्वस्थ रखने में मदद मिलती है।

हर्ब्स और होम्योपैथिक दवाओं का सेवन करें

हर्ब्स और होम्योपैथिक दवाओं का सेवन करें

शुक्राणु बढ़ाने के लिए आप होम्योपैथिक दवाओं का सेवन भी कर सकते हैं। इनमें निम्न घटक पाए जाते हैं –

पैसीफ्लोरा इन्कार्नैटा (Passiflora Incarnata): यह स्मोकिंग, गांजा और भांग के सेवन के कारण कम हुए शुक्राणुओं को बढ़ाने में मदद करता है। साथ ही, यह पुरुषों की कामुकता को भी बढ़ाता है।

जिंकम मेटालिकम (Zincum Metallicum): यह पदार्थ शरीर में जिंक की मात्रा को बढ़ाता है, जिससे वीर्य की क्वालिटी और शुक्राणुओं की संख्या बढ़ती है। जिंक शुक्राणुओं के डीएनए फार्मेशन में काफी अहम भूमिका अदा करता है, जिससे उनकी क्वालिटी अच्छी होती है।

ऊपर दिए गए घटक होम्योपैथिक दवाओं में काफी अहम होते हैं। इसके अलावा, इनमें कई और हर्ब्स भी पाए जाते हैं, जो शुक्राणु बढ़ाने में मदद करते हैं।

माका रूट (Maca Root)​

माका रूट (Maca Root)​

माका रूट की खुराक लेने से, लिंग मोटा लम्बा करने में तो मदद मिलती ही है, साथ ही प्रजनन क्षमता और यौन प्रदर्शन में भी सुधार हो सकता है।

माका रुट काफी लोकप्रिय पौधा है, जो अमेरिका के मध्य पेरू देश में उत्पन्न होता है।

प्राचीन काल से ही, इसका उपयोग कामेच्छा और प्रजनन क्षमता को बढ़ाने के लिए किया जाता आ रहा है।

पुरुषों पर हुए कई शोधों (शोध 1शोध 2शोध 3) पता चला है, कि 1.5 से 3 ग्राम सूखे माका की जड़ को 3 महीने तक लेते रहने से, यौन-इच्छा में सुधार होता है।

शोध यह भी सुझाव देते हैं, कि माका रूट यौन प्रदर्शन में सुधार कर सकता है।

हल्के इरेक्टाइल डिसफंक्शन वाले पुरुषों द्वारा 12 सप्ताह के लिए सूखे माका रूट की 2.4 ग्राम मात्रा लेने से, स्व-निर्मित इरेक्टाइल फ़ंक्शन और यौन कल्याण में थोड़ा सुधार पाया गया।

एक अन्य शोध में, 3 महीने तक हर दिन 1.75 ग्राम माका रूट पाउडर लेने से, स्वस्थ पुरुषों में शुक्राणुओं की संख्या और गतिशीलता में बढ़ोतरी पाई गई।

साथ ही, इसे कामुकता को बढ़ाने में और हॉर्मोन को संतुलित करने में काफी लाभकारी हर्ब माना जाता है।

रोज सुबह-शाम दो-दो चम्मच माका रूट के पाउडर का सेवन करें।

इसे आप एक गिलास पानी, दूध या सूप में मिलाकर सेवन कर सकते हैं, या फिर अपने भोजन की सब्जी में भी ऊपर से डाल सकते हैं।

नोट – चूँकि माका रूट में अत्यधिक मात्रा में फाइबर होता है, इसलिए इसके सेवन की शुरुआत आधा चम्मच से करें और धीरे-धीरे कुछ हफ़्तों के अन्तराल में मात्रा को बढ़ाते जाएँ।

अश्वगंधा​

अश्वगंधा एक आयुर्वेदिक जड़ी बूटी है, जिसका उपयोग भारत में प्राचीन काल से किया जाता रहा है।

शोध बताते हैं, कि अश्वगंधा टेस्टोस्टेरोन के स्तर को बढ़ाकर पुरुष प्रजनन क्षमता में सुधार कर सकता है।

कम शुक्राणु वाले पुरुषों पर हुए एक शोध से पता चला है, कि 675 मिलीग्राम अश्वगंधा जड़ के अर्क को 3 महीने तक प्रतिदिन लेने से, प्रजनन क्षमता में काफी सुधार होता है।

विशेष रूप से, इस शोध में पुरुषों की शुक्राणुओं की संख्या में 167%, वीर्य की मात्रा में 53% और शुक्राणुओं की गतिशीलता में 57% की बढ़ोतरी पाई गई।

शोधकर्ताओं के अनुसार, इस फायदे का कारण अस्वगंधा लेने से बड़ा हुआ टेस्टोस्टेरोन का स्तर हो सकता है।

एक शक्ति-प्रशिक्षण कार्यक्रम के बाद, 57 युवा पुरुषों पर हुए एक शोध से पता चला है, कि रोजाना 600 मिलीग्राम अश्वगंधा की जड़ के अर्क का सेवन करने से टेस्टोस्टेरोन का स्तर, मांसपेशियों का द्रव्यमान और ताकत में वृद्धि होती है।

इन शोधों को कुछ अवलोकन शोधों (शोध 1शोध 2) ने भी इस बात का सत्यापन किया है।

रोज दिन में दो बार एक गिलास दूध में आधा चम्मच अश्वगंधा घोलकर सेवन करें।

या फिर, अश्वगंधा के सप्लीमेंट्स का सेवन करें।

इसके उचित डोज जानने के लिए अपने डॉक्टर से सलाह लें।

कोरियाई जिनसेंग​

कोरियाई जिनसेंग​

शुक्राणुओं पर जिनसेंग के प्रभावों का काफी लम्बे समय से शोध चल रहा है।

इसकी पूरी जानकारी अमेरिका की नेशनल इंस्टीटयूड ऑफ़ हेल्थ की इस पोस्ट में दी गई है।

सबसे पहला शोध, 1977 में चूहों के अंडकोष पर किया गया था।

इसमें पता चला, कि जिनसेंग शुक्राणुओं के डीएनए और प्रोटीन सिंथेसिस पर उत्तेजक प्रभाव डालता है।

बाद में मनुष्यों और चूहों पर हुए शोधों से पता चला है, कि जिनसेंग शुक्राणुओं की संख्या बढ़ा सकता है।

जिनसेंग से उपचारित चूहों के GDNF और CREM की प्रक्रियाओं में बढ़ोतरी पाई गई।

GDNF शुक्राणुओं को जिंदा रखने के लिए जरूरी होता है और CREM शुक्राणुओं को परिपक्व बनाने में मदद करता है।

मनुष्यों पर हुए शोध में, जिनसेंग को शुक्राणु, वीर्य और टेस्टोस्टेरोन के स्तर को बढ़ाने में मददगार पाया गया है।

एक अन्य शोध में, जिनसेंग को शुक्राणुओं की गतिशीलता को बढ़ाने में फायदेमंद पाया गया है।

इसके अलावा प्राचीन काल से ही कोरियाई जिनसेंग को, तनाव कम करने में लाभकारी माना जाता है।

इसलिए लगभग तीन महीनों के लिए रोज दिन में दो बार, 500 मिग्रा कोरियाई जिनसेंग के कैप्सूल का सेवन करें।

इसे आप किसी भी मेडिकल स्टोर या ऑनलाइन आसानी से खरीद सकते हैं।

गोखरू​

गोखरू

2012 में भारत के गवर्नमेंट आयुर्वेदिक मेडिकल कॉलेज के द्वारा किये गए एक शोध के अनुसार, गोखरू शरीर में हॉर्मोन्स को संतुलित करके शुक्राणुओं की संख्या और क्वालिटी को बढ़ाने में मदद करता है।

डॉक्टर की सलाह लेकर रोज दिन में दो बार 500 मिग्रा गोखरू के कैप्सूल्स का सेवन करें।

डैमियाना (Damiana)​

डैमियाना (Damiana)​

डैमियाना हर्ब दक्षिण और मध्य अमेरिका में प्राकृतिक रूप से पाया जाता है।

यह आपकी कई स्वास्थ्य समस्याओं के लिए फायदेमंद होता है, खासतौर से पाचन समस्याओं, डिप्रेशन, नींद न आना, ऊर्जा में कमी और सेक्स समस्याओं के लिए।

यह महिला और पुरुष, दोनों की फर्टिलिटी बढ़ाने में मददगार होता है।

महिलाओं में डैमियाना, हॉर्मोन के स्तर और मासिक धर्म को नियंत्रित करता है, पीरियड्स के दर्द को कम करता है और अंडे की गुणवत्ता को बढ़ाता है।

डैमियाना में कई सारे एंटीऑक्सीडेंट पाए जाते हैं, जो योनि में इन्फेक्शन होने से बचाते हैं।

पुरुषों में डैमियाना टेस्टोस्टेरोन जैसे हार्मोन के स्राव को बढ़ाने में सक्षम होता है, जो शुक्राणु के निर्माण और परिपक्वता में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

इसके अलावा, इसका उपयोग शुक्राणु की गतिशीलता में सुधार और इरेक्टाइल डिसफंक्शन का मुकाबला करने के लिए किया जाता है।

1000 पुरुषों पर हुए एक शोध में, डैमियाना को हर बार के सम्भोग को और ज्यादा बेहतर बनाने में फायदेमंद पाया गया है।

पुरुषों में प्रजनन संबंधी समस्याएं, अक्सर जननांग मार्ग में संक्रमण के कारण होती हैं।

मूत्र के उत्पादन में कमी और मूत्राशय की सूजन, पुरुष प्रजनन प्रणाली को प्रभावित कर सकती है और शुक्राणुओं की कमी का कारण बन सकती है।

डैमियाना गुर्दों को उत्तेजित करके मूत्र के उत्पादन और उत्सर्जन को बढ़ावा देता है और शरीर के विषाक्त पदार्थ ठीक से बाहर निकल पाते हैं।

एक चौथाई चम्मच सूखी डैमियाना की पत्तियों को, एक कप पानी में 5 से 10 मिनट के लिए उबालें।

अब इसे छान लें और स्वादानुसार शहद डाल दें।

कुछ महीनों के लिए इसे रोज दिन में तीन बार पियें।

या फिर, आप डॉक्टर से सलाह लेकर इसके सप्लीमेंट्स का सेवन भी कर सकते हैं।

सॉ पाल्मेटो (Saw Palmetto)​

सॉ पाल्मेटो (Saw Palmetto)​

एक शोध में वैज्ञानिकों को पता चला है, कि पाल्मेटो पुरुषों के टेस्टोस्टेरोन को कम करने वाली “5-अल्फा रिडक्टेस” एंजाइम को कम कर देता है।

एक अन्य पुराने शोध में भी, सॉ पाल्मेटो को दो हफ्ते के अंदर टेस्टोस्टेरोन के स्तर को बढ़ाने में लाभकारी पाया गया है।

साथ ही, प्रोस्टेट ग्रंथि को स्वस्थ रखने के लिए सॉ पाल्मेटो का काफी इस्तेमाल किया जाता है।

डॉक्टर से सलाह लेकर रोज दिन में दो बार 160 मिग्रा सॉ पाल्मेटो के सप्लीमेंट्स का सेवन करें।

इसके सप्लीमेंट्स में 85 से 95 प्रतिशत फैटी एसिड्स और स्टेरोल्स होना चाहिए।

अधिक जानकारी के लिए अपने डॉक्टर से संपर्क करें।

तनाव न लें

तनाव न लें

अत्यधिक तनाव लेने से शरीर के सेक्सुअल फंक्शन पर काफी बुरा असर पड़ता है, जिससे शुक्राणुओं के उत्पादन में भी कमी आ सकती है।

अधिक काम करने से और अपने शरीर को उचित आराम न देने से भी तनाव बढ़ता है।

इसलिए अपने आप को शांत रखने की “रिलैक्सेशन तकनीकें” अपनाएं।

रोज नियमित रूप से योग और मैडिटेशन करके, अपने मन और शरीर को स्वस्थ रखें।

साथ ही, नियमित व्यायाम, रनिंग, स्विमिंग, साइकिलिंग करने से भी फायदा होता है।

हमारे शरीर में लेडिग (Leydig) नामक सेल्स होते हैं, जो टेस्टोस्टेरोन उत्पादन को बढ़ाते हैं।

तनाव लेने से शरीर में स्ट्रेस हॉर्मोन का स्तर बढ़ जाता है, जो लेडिग सेल्स को ब्लॉक करने लगता है।

इसलिए जब भी हम तनाव लेते हैं, तो हमारे शुक्राणुओं का उत्पादन होना बंद हो जाता है।

इसके अलावा, कम नींद लेने से, थकावट और तनाव बढ़ता है और शुक्राणु कम होते हैं।

इसलिए रात को जल्दी सोयें व सुबह जल्दी उठें, और कम से कम 8 घंटे की नींद लें।

धूम्रपान न करें

धूम्रपान न करें

पुरुषों पर हुए कुछ शोधों से पता चला है, कि धूम्रपान शुक्राणुओं की गुणवत्ता में कमी ला सकता है।

धूम्रपान शुक्राणुओं को निम्न तरीके से नुकसान पहुँचाता है –

  • शुक्राणुओं की सांद्रता: दिए गए वीर्य में मौजूद कुल शुक्राणुओं की संख्या को उसकी सांद्रता कहा जाता है। कई शोधों में धूम्रपान करने वाले पुरुषों के शुक्राणुओं की सांद्रता में 23% तक की कमी पाई गई है।
  • शुक्राणुओं का डीएनएकई शोधों में धूम्रपान करने वाले पुरुषों के शुक्राणुओं के डीएनए विखंडन में भी वृद्धि देखी गई है। डीएनए के क्षतिग्रस्त होने से पुरुषों की फर्टिलिटी पर काफी बुरा असर पड़ता है। और यदि उसकी पत्नी गर्भवती हो भी जाए, तब भी उनके बच्चे में कोई स्वास्थ्य समस्या होने की सम्भावना होती है। धूम्रपान करने से पुरुषों के हॉर्मोन स्तर में भी बदलाव आते हैं, जिससे उनकी सेक्स लाइफ पर बुरा प्रभाव पड़ सकता है।
  • शुक्राणुओं की आकृति: बिगड़े आकार वाले शुक्राणु गर्भाशय में अंडे तक ठीक से तैर नहीं पाते, जिससे फर्टिलाइजेशन की सम्भावना कम हो जाती है। धूम्रपान करने वाले पुरुषों के शुक्राणुओं की आकृति बिगड़ने की सम्भावना काफी ज्यादा होती है।
  • शुक्राणु की गतिशीलता: शुक्राणुओं की गति ठीक न होने से भी उन्हें अंडे तक तैरने में समस्या आती है। धूम्रपान करने वाले पुरुषों में, शोधकर्ताओं ने शुक्राणु की गतिशीलता में 13% की कमी पाई है।

फर्टिलाइजेशन ठीक से होने के लिए, शुक्राणुओं का अच्छी क्वालिटी का होना बहुत ही आवश्यक है।

धूम्रपान में सिगरेट और गांजा ज्यादा नुकसान दायक होते हैं।

इसलिए यदि आप अपने शुक्राणु बढ़ाना चाहते हैं तो धूम्रपान न करें।

शराब का सेवन कम करें

शराब का सेवन कम करें

हालाँकि, एक सीमित मात्रा में शराब का सेवन करने से, शुक्राणुओं पर कोई बुरा प्रभाव नहीं पड़ता।

लेकिन, अत्यधिक शराब का सेवन करने से, शुक्राणुओं की गुणवत्ता में कमी आती है, टेस्टोस्टेरोन हॉर्मोन का उत्पादन कम हो जाता है और लिंग को पूरा खड़ा करने में परेशानी होती है।

साथ ही, इससे लिवर के कामकाजों पर बुरा असर पढ़ता है, जिसके फलस्वरूप शरीर में एस्ट्रोजन हॉर्मोन काफी तेजी से बढ़ने लगता है।

एस्ट्रोजन एक फीमेल हॉर्मोन होता है, जो शरीर में महिला करैक्टर को बढ़ावा देता है।

यह महिलाओं में ज्यादा मात्रा में पाया जाता है और पुरुषों में कम मात्रा में पाया जाता है।

यदि पुरुषों में इस हॉर्मोन का स्तर बढ़ने लगे, तो उनमें नामर्दी, लो स्पर्म काउंट और महिलाओं जैसी फीलिंग्स उत्पन्न होने लगती हैं।

इसलिए यदि आप इस अवस्था से बचे रहना चाहते हैं, तो शराब का कम से कम सेवन करें।

आस-पास के विषाक्त पदार्थों और केमिकल्स से दूर रहें

आस-पास के विषाक्त पदार्थों और केमिकल्स से दूर रहें

आसपास के विषाक्त पदार्थों या केमिकल्स के संपर्क में आने पर शुक्राणुओं की साइज, गति और संख्या पर बुरा असर पड़ सकता है।

चूँकि इनसे पूरी तरह से बचना बहुत ही मुश्किल होता है, लेकिन आपके सम्पूर्ण स्वास्थ्य और शुक्राणुओं के स्वास्थ्य को ठीक रखने के लिए, इनसे बचना बहुत ही जरूरी है।

इन पदार्थों के संपर्क में आने से बचने के लिए नीचे दिए गए उपाय करें –

  • यदि आप किसी केमिकल फैक्ट्री में काम करते हैं, जहाँ पर आपको पूरे दिन विषाक्त केमिकल्स के आसपास रहना पड़ता है, तो अपनी स्किन को बचाने के लिए लंबी आस्तीन वाले कपड़े और दस्ताने पहनें। इसके अलावा, अपने चेहरे और आँखों को बचाने के लिए मास्क और चस्मा पहनें।
  • अपने घर में, केमिकल प्रोडक्ट्स की जगह जितना हो सके उतना नेचुरल प्रोडक्ट्स का इस्तेमाल करें।
  • अपने गमले, गार्डन और घर में केमिकल कीटनाशकों और दवाओं का उपयोग न करें।

नियमित व्यायाम और योग करें

नियमित व्यायाम और योग करें

आजकल की भाग दौड़ भरी जिंदगी में व्यायाम और योग करने के लिए समय निकाल पाना काफी मुश्किल है।

लेकिन, नियमित व्यायाम और योग करने से शरीर में टेस्टोस्टेरोन का स्तर बढ़ता हैशीघ्रपतन ठीक होता है और शुक्राणुओं की संख्या बढ़ाने में मदद मिलती हैं।

साथ ही, यह आपको शारीरिक और मानसिक रूप से भी अधिक मजबूत बनाते हैं।

इसलिए, रोजाना कम से कम एक घंटा व्यायाम और योग को दें।

व्यायाम में आप रनिंग, वेट लिफ्टिंग, डम्बल एक्सरसाइज, स्ट्रेचिंग आदि कर सकते हैं।

लेकिन व्यायाम करते समय निम्न बातों का ध्यान रखें:

  • अत्यधिक हैवी एक्सरसाइज न करें: क्योंकि अत्यधिक एक्सरसाइज करने से, शरीर में एड्रेनल स्टेरॉयड हॉर्मोन्स रिलीज़ होते हैं, जो टेस्टोस्टेरोन के स्तर को कम करते हैं। इसलिए अत्यधिक हैवी लिफ्टिंग और थका देने वाली एक्सरसाइज से बचें।
  • एनाबोलिक स्टेरॉयड्स का उयोग न करें: यह आपकी बॉडी को मस्कुलर तो बना सकते हैं, लेकिन इनके कारण आपके अंडकोष सिकुड़ सकते हैं और आपको इनफर्टिलिटी की समस्या भी हो सकती है। इसलिए यदि आप इनके सेवन के वारे में सोच रहे हैं तो अपना फैसला बदल लें।

योग में आप प्राणायाम और अनुलोम-विलोम रोज करें। वैसे योग का हर आसन शरीर के लिए फायदेमंद होता है, इसलिए आप अपनी इच्छा अनुसार कोई भी आसन कर सकते हैं।

मोटापा को नियंत्रित करें

मोटापा को नियंत्रित करें

मोटापा कंट्रोल करने से भी शुक्राणु बढ़ते हैं।

हालाँकि, वैज्ञानिकों को नहीं पता कि मोटापा किस प्रकार से शुक्राणुओं की संख्या पर प्रभाव डालता है।

लेकिन हाल ही में फ्रांस में हुए एक शोध से यह बात सामने आई है, कि मोटापा से ग्रसित पुरुषों में अन्य पुरुषों के मुकाबले शुक्राणु कम होने की सम्भावना 42% ज्यादा होती है।

इसी शोध में यह बात भी पता चली है, कि मोटापा से ग्रसित पुरुषों के वीर्य में बिल्कुल भी शुक्राणु न होने की सम्भावना 81% होती है।

मोटापा के कारण शुक्राणु कम होने की वजह का वर्णन करने के लिए, कई वैज्ञानिकों के द्वारा अलग-अलग थ्योरीज सामने आई हैं।

कुछ के मुताबित, फैट टिश्यू टेस्टोस्टेरोन को एस्ट्रोजन में बदल देते हैं और कुछ के मुताबित जांघों में अत्यधिक फैट जमा होने के कारण अंडकोष काफी गर्म रहता है।

वजह चाहे जो भी हो, लेकिन यह बात तो तय है कि शरीर का मोटापा शुक्राणुओं पर बुरा प्रभाव डालता है, इसलिए अपने मोटापे को नियंत्रित करें।

सप्लीमेंट्स लें

सप्लीमेंट्स लें

अपने शुक्राणु बढ़ाने के लिए आप मेडिसिन्स का सहारा भी ले सकते हैं।

शोधों से यह पता चला है, कि जो पुरुष लगातार 26 हफ़्तों तक रोज दिन में एक बार 5 मिग्रा फोलिक एसिड और 66 मिग्रा जिंक सल्फेट का सेवन करते हैं, उनके शुक्राणुओं की संख्या 75% तक ज्यादा बढ़ जाती है।

शुक्राणुओं के निर्माण के दौरान, डीएनए फार्मेशन की प्रक्रिया सबसे अहम होती है और इसमें फोलिक एसिड और जिंक सल्फेट काफी मदद करते हैं।

विटामिन सी और सेलेनियम युक्त सप्लीमेंट्स भी शुक्राणु बढ़ाने में फायदेमंद हो सकते हैं।

आपको कोई अन्य हेल्थ प्रॉब्लम तो नहीं

आपको कोई अन्य हेल्थ प्रॉब्लम तो नहीं

अन्य हेल्थ समस्याओं के होने से भी, शुक्राणुओं के उत्पादन में रुकावट पैदा हो सकती है।

इसलिए डॉक्टर से निम्न जाँच करवायें

सेक्सुअली ट्रांसमिटेड इन्फेक्शन (STI) की जाँच करवाएं​

सेक्स के दौरान ट्रान्सफर होने वाले कुछ इन्फेक्शन, जैसे क्लैमाइडिया (chlamydia) और गोनोरिया (gonorrhea) के कारण जनांगों में स्कार बन जाते हैं, जो शुक्राणुओं के मार्ग में बाधा उत्पन्न करते हैं।

इसलिए नियमित रूप से STIs की जाँच करवाते रहें और यदि आपको यह इन्फेक्शन है, तो इसका उचित ट्रीटमेंट लें।

ज्यादातर मामलों में डॉक्टर आपको कुछ एंटीबायोटिक्स का सेवन करने को कहेंगे।

पता लगायें कि कहीं आपको वेरिकोसील (Varicocele) बीमारी तो नहीं​

इस बीमारी के कारण अंडकोष की नालियां सूज जाती हैं, जिससे उनमें सड़न पैदा होने लगती है।

इसके फलस्वरूप, अंडकोष गर्म होने लगते हैं और शुक्राणुओं का उत्पादन कम हो जाता है।

यदि आपको यह बीमारी है, तो इसका उचित उपचार करवाएं।

इसका उपचार करने के लिए डॉक्टर्स सर्जरी का सहारा लेते हैं।

हार्मोनल असंतुलन होने पर उसका उचित ट्रीटमेंट लें​

हार्मोनल असंतुलन के कारण भी शुक्राणुओं के उत्पादन पर बुरा असर पड़ता है।

इसलिए यदि आपको यह समस्या है, तो डॉक्टर से इसकी उचित मेडिसिन्स और हॉर्मोन्स के इंजेक्शन लें।

  • आमतौर पर हॉर्मोन संतुलित करने का उपचार काफी लंबे समय तक चलता है और इसके उचित परिणाम दिखाई देने में लगभग दो-तीन महीने लग सकते हैं।

खाद्य पदार्थ

खाद्य पदार्थ

लहसुन​

लहसुन एक प्राकृतिक कामोद्दीपक होता है, जो शुक्राणुओं के उत्पादन को बढ़ाने में मदद करता है।

इसमें एलिसिन (allicin) नामक कंपाउंड होता है, जो शुक्राणुओं की सहनशीलता को बढ़ाता है।

साथ ही, लहसुन में सेलेनियम होता है, जो शुक्राणुओं की गतिशीलता को ठीक करता है।

अपने रोज के भोजन में एक या दो लहसुन की कलियों को शामिल करें।

ग्रीन टी​

शोधकर्ताओं के मुताबित ग्रीन टी में मौजूद अत्यधिक एंटीऑक्सीडेंट्स, स्पर्म सेल्स को डैमेज करने वाले फ्री रेडिकल्स को ख़त्म करते हैं।

2012 में मॉलिक्यूलर न्यूट्रीशन एंड फूड रिसर्च में पब्लिश हुई एक स्टडी के अनुसार, ग्रीन टी में कुछ मात्रा में एपिगलोकेटेशिन गलेट (EGCG) नामक कंपाउंड होते हैं, जो शुक्राणुओं की गुणवत्ता और गतिशीलता को बढ़ाते हैं।

चूँकि EGCG की अधिक मात्रा होने पर इसका उल्टा प्रभाव पढ़ सकता है, इसलिए इसपर और शोध होना अभी बाकी है।

अपनी फर्टिलिटी को बढ़ाने के लिए रोज एक या दो कप ग्रीन टी का सेवन करें।

शुक्राणु बढ़ने वाले अन्य खाद्य पदार्थ निम्न हैं:​

कद्दू के बीज: इनमें अत्यधिक मात्रा में जिंक पाया जाता है, जो टेस्टोस्टेरोन के स्तर, शुक्राणुओं की गति और शुक्राणुओं की संख्या बढ़ाने में मदद करता है।

संतरा: संतरे में बहुत ज्यादा विटामिन सी होता है, और कई शोधों ने साबित किया है कि यह शुक्राणु की गतिशीलता, गिनती और आकृति विज्ञान में सुधार करता है। विटामिन सी निम्न खाद्य पदार्थों में भी पाया जाता है: टमाटर, ब्रोकोली, अंकुरित अनाज और पत्तागोभी।

गहरे रंग की पत्तेदार सब्जियाँ: पालक, सलाद पत्ते और शतावरी में मौजूद फोलेट (जिसे विटामिन बी के रूप में भी जाना जाता है) मजबूत और स्वस्थ शुक्राणु पैदा करने में मदद कर सकता है।

डार्क चॉकलेट: इसमें आर्जिनिन नामक एक एमिनो एसिड होता है, जो शुक्राणुओं की संख्या और गुणवत्ता में सुधार कर सकता है।

सीफ़ूड: मछलियाँ और अन्य समुद्री जीव, खासतौर से सैल्मन, टूना, मैकेरल और सार्डिन में अत्यधिक मात्रा में ओमेगा-3 फैटी एसिड्स पाई जाती हैं, जो शुक्राणुओं की गुणवत्ता और संख्या बढ़ाने में मदद करती है।

अनार का रस: इसमें मौजूद एंटीऑक्सीडेंट आपके टेस्टोस्टेरोन के स्तर को बड़ा सकते हैं।

पानी: हाइड्रेटेड रहने से भी अच्छा वीर्य बनाने में मदद मिलती है।

इन खाद्य पदार्थों को अपनी डाइट में शामिल करने के साथ-साथ, निम्न पदार्थों से परहेज करें:

  • तला-भुना भोजन
  • ज्यादा फैट वाले डेरी प्रोडक्ट्स
  • कैफीन
  • अल्कोहल

निष्कर्ष​

  • अपने भोजन और कॉस्मेटिक्स में आर्गेनिक प्रोडक्ट्स का अधिक से अधिक इस्तेमाल करें। विषाक्त केमिकल युक्त पदार्थों से दूर रहें।
  • विटामिन सी, जिंक, सेलेनियम और ओमेगा-3 फैटी एसिड्स युक्त खाद्य पदार्थों जैसे कद्दू के बीज, अखरोट, तिल, अलसी, चिया बीज, पालक, अंडा, मसूर की दाल, फलियां, ब्रोकोली, टमाटर और संतरा का अधिक से अधिक सेवन करें। डॉक्टर से सलाह लेकर आप इन पोषक तत्वों सप्लीमेंट्स भी ले सकते हैं।
  • प्लास्टिक की बोतलें, कंटेनर और अन्य प्लास्टिक से बनी वस्तुयों के उपयोग से बचें। इसके उपयोग से शरीर में एस्ट्रोजन बढ़ने की सम्भावना होती है।
  • टाइट कपड़े और अंडरवियर न पहनें।
  • हॉट बाथ या सौना (sauna) लेने से बचें क्योंकि इसके कारण अंडकोष गर्म हो सकते हैं।
  • तनाव न लें।
  • अपने वजन को कंट्रोल में रखें।
  • पर्याप्त नींद लें।
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